Saturday, March 19, 2011

दोहरी हत्या की जिम्मेदारी तय करे ( सूरवाल गांव के दाखा देवी हत्याकांड )



दाखू देवी की हत्या पर मानवाधिकारी मोन क्यों ?
नामजद हत्यारे को बचाने वाला शहीद कैसे हो सकता है ?
सुबह से टंकी पर चढ कर शाम पांच बजे तक बार बार की चेतावनी के बावजूद कार्यवाही नहीं करना ही , आ बैल मुझेमार वाली कहावत ही शायद हत्या का कारण है
जलते स्वजन को देखकर षठः षाठयम समाचरेत mob mentality का परिचायक है| बदले में गोली चलने का आदेश इच्छा कृत हत्या है |
डाक्टर किरोडीलाल मीणा का सशक्त नेतृत्व दाखू देवी और जलगाये युवक को न्याय आवश्य दिलाएगा |

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