Thursday, February 17, 2011

संघ को समझिये – गुलाबजी



राजस्थान पत्रिका 3 फरवरी 2011 का विशेष सम्पादकीय श्री गुलाबजी कोठारी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहनराव भागवत के अजमेर आगमन पर "भले पधारया " पूर्वाग्रह ग्रसित लगा कुछ बिन्दू विचार के लिए प्रस्तुत हैं आपने लिखा "शाखाओं का सूखेत जाना ......। नई पीढी का शाखाओ से मोह भंग "| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखायें नित्य लगती है। नित्य प्रति का कार्य एक कठोर तपस्या से कम नही होता। मैं आपकी जानकारी के लिए लाडनूं जैसे छोटे स्थान (जिला स्थान नहीं)पर कार्य क्रम में उपस्थित गणवेशधारी स्वयंसेवको का चित्र भेज रहा हूँ नई पीढी भी सक्रीय है। "मोह भंग" का भाव आपके मन मे कहां से आया? शाखाओ के सूखने का निर्णय में आपका आधार क्या है? जबकि प्रत्येक कार्य समिति की रिपोर्ट शायद आपने नही देखी होगी ।उदयपुर में विधार्थी परिषद के विभाग संगठन का शिविर हो गया। असम से आये संगठन मंत्रियो में कर्नाटक के जीवन दानी नोजवान कार्य कर्तोओं से मिलकर प्रसन्नता हुई कि कमजोर प्रदेशों में सरप्लस प्रांत गोद लेकर कार्य कर्ता भेजते है जिनका सबसे पहला कार्य वहां की भाषा सीखना होता है। शाखायें सूखी होती तो बाहर भेजने के लिए कार्य कर्ता कहां से आते ? मेरा श्री मान् गुलाबजी साहब कोठारी से निवेदन है कि संघ की स्थापना 1925 में हुई थी और 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना स्वर्गीय श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने की थी। 1948 में महात्मा गांधी के स्वर्गवास के बाद संघ पर प्रतिबंध लगा दिया गया था क्यों? सही जानकारी के लिए  "मिशन विद माउन्ट बेटन" नामक पुस्तक माउन्ट बेटन के सेक्रेट्री ने लिखी है पढने का श्रम करावें। गांधी जी के नाम पर संघ के कार्य कर्ताओं पर जिस प्रकार का जुल्म ढहाया गया था वह आपके ध्यान में नही हो सकता है। आपने 1984 मे इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद सिखों पर जो अत्याचार हुए अपनी आंखो से देखे ही है राजस्थान पत्रिका निकाल कर अवलोकन करें।
प्रतिबंध को हटाने के लिए 1949 में संघ ने आन्दोलन किया । शाखायें बन्द थी। प्रतिबंघ हटने के बाद तत्कालीन सरसंघचालक श्री गुरूजी का पूरे देश का प्रवास हुआ। गुरूजी के स्वागत में उमङी जनता को देख सुनकर डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी नागपुर श्री गुरूजी से मिलने गये । संघ के राजनैतिक दल बना देना चाहिए के उनके प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए गुरूजी ने उनको प्रश्न किया था "पेङ की जङ को छोङकर पतों पर पानी देने वाले को आप क्या कहेगें? पर मुखर्जी ने प्रति प्रश्न किया कि क्या हिन्दू हित रक्षा के लिए अपने विचारों का राजनैतिक दल नहीं चाहिए । गुरूजी ने कहा -आप राजनीति में है आप करिए। मैं अकेला क्या कर सकता हूँ पर श्री गुरूजी ने कहा कि प्रत्येक प्रदेश मे आपको कार्यकर्ता देंने को हम तैयार है। उदाहरण के लिए अपने राजस्थान से सुन्दरसिंह जी भण्डारी ,लालक्रष्ण आडवाणी ओऱ दीनदयाल जी उपाध्याय का नाम प्रमुख है।
कोठारी जी पत्रिका देखिए एक वर्ष में ही भारतीय जन संघ पहले निर्वाचन मे ही अखिल भारतीय दल धोषित हो गया था। चुनाव के बाद डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था "मैं पंडित जवाहरलाल नेहरु को धन्यवाद देना चाहता हूँ जिन्होने हमारा भारतीय जनसंघ का नाम पूरे देश में पहुंचा दिया। इतने विशाल देश में एक वर्ष की शिशु पार्टी को पहुंचने की क्षमता नहीं थी।
एक पिता के पुत्रों मे कोई व्यापारी ,कोई डॉक्टर, कोई वकील , कोई अध्यापक ओर कोई किसान हो सकता हैं। वे सब एक ही परिवार के अंग होने के नाते साथ बैठते है साथ खाते है । एक का काम दुसरा नहीं कर सकता पर सबकी आय एक पिता के पास पहुंचती है पिता के आदेश पर उस सांझी कमाई का उपयोग भी होता है पिता का अनुशासन और प्यार सबके लिए समान होता है। संघ परिवार के संगठन स्वतंत्र है | बडो से मार्ग दर्शन लेना हमारी संस्कृति है.
"संघ भाजपा के काम मे दखल नही करेगा" क्या डॉक्टर अथवा वकील के स्थान पर पिता अथवा दुसरा भाई काम कर सकता है। पिता परामर्श तो दे सकता है पर दखलंदाजी कर वकील की जगह कोर्ट मे उपस्थित नही हो सकता ।
"भाजपा को राख से भी उठ खङा होना आता है।" 1951-52 में जनसंघ की अखिल भारतीय मान्यता, 1975 के आपातकाल के बाद जनता पार्टी के माध्यम से सम्मिलित सरकार ओर 1980 मे भारतीय जनता पार्टी का निर्माण। दोहरी सदस्यता का नारा देने वाले जनता पार्टी से टूट कर बने दल बिखर गये और भाजपा कांग्रेस से आगे नही तो भी बराबरी पर है। 1984 के 2 सांसदो से 90 और 180 तक पहुंचने वालो को "राख से उठ खङे होने की क्षमता का प्रमाण नहीं है? याद करिए "काबा लूटी गोपिका वही अर्जुन वही बाण" कभी कभी ऐसी स्थिती स्वाभाविक ही है पर इसे नजरंदाज नही किया जा सकता। इसलिए भागवतजी के दोनो ही दावें सही है।
"संघ भले ही आपसे कुछ उम्मीदें रखता होगा, देश तो आपका नाम लगभग भूल चुका है।" श्री मान् कोठारीजी आप अपने आप में इतने बङे हो गये है कि आपको सामने घटती घटनायें भी दिखाई नही देती या देखना नहीं चाहते ।
बीबीसी के एक प्रश्नोतर मे कहा गया है कि गैर सरकारी स्वयंसेवी संगठन दुनियां में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से बङा कोई नही है और अपने देशं के बाहर हिन्दू स्वयंसेवक संघ के नाम से अनेक देशो मे शाखाये चल रही है। हर वर्ष प्रत्येक नगर ग्राम में पथसंचलन खुले राज मार्गो पर निकलते हुए आपने नहीं देखें हो पर देश की 80 प्रतिशत जनता संघ की ओर आशा भरी निगाह से देख रही है।
आपने "गङकरी के पुत्र के विवाह" को भी याद किया है। गङकरी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अब बने है। वे उधोगपति पहले है। अन्य किसी भी उधोगपति के पुत्र के विवाह की चर्चा आपने क्यों नही की आपने भी पुत्र का विवाह किया होगा ।
"भाजपा के नेता किंकर्तव्य विमुढ हो गयें है लालक्रष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली अपनी अपनी कुर्सीयां खींच रहे थे। तब आप (भागवतजी) मौन क्यों थे? इस प्रकार के क्षुद्र प्रश्न की आप जैसे प्रबुद्ध व्यक्ति से आशा नहीं की थी। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र मे प्रतिस्पर्धा विकाश का सोपान होती है। हर व्यक्ति को अपने क्षेत्र मे आगे बढने का अधिकार है। "रोयां बिना माँ ही बोबो नी देवे" हर क्षेत्र मे लागू होता है।
"वसुन्धरा राजे, भुवनचन्द्र खण्डूरी, उमा भारती और बाबूलाल गौर आदि का पत्ता साफ हुआ" आपके लिखने का अर्थ क्या यह नही है कि और किसी को मोका ही नही मिलना चाहिए? संगठन की नीति रिति ओर विकाश एवं उपयोगिता का भी ख्याल रखने की जिम्मेवारी हाईकमाण्ड की होती है। अनुशासन के लिए भी कभी कभी कठोर कदम उठाने पङते है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरपा पर विरोधियो ने जो आरोप लगायें है उनमे कितना दम है यह बात सदय् सम्पन्न हुए निकाय निर्वाचनों ने आरोप नकार दिया है। निकाय चुनावों मे भाजपा के 12 के मुकाबले कांग्रेस केवल 4 ही निकाय पा सकी। देवेगोङा की सेकूलर समाजवादी को मात्र 2 निकाय से संतोष करना पङा है। जनतंत्र में जनता का बहुमत का निर्णय सर्वोपरी होता है ।

"बांग्लादेशी मियां,काश्मीर से निस्कासित हिन्दूओं की समस्या" का समाधान सरकार की जिम्मेदारी है। 85 वर्ष से समाज संगठन का कार्य देश के मध्य स्थान नागपुर से देश की दशोदिशाओं में समान रुप से प्रकाश फैलाया है। आभामण्डल के विस्तार की सीमा होती है। सुदूर पूर्व , उतर और दक्षिण में पहुंचने मे समय तो लगेगा ही मजबूत होते ही  समस्या का स्वतः समाधान होगा । "संघ में कट्टरवाद को अगर स्थान होता तो क्या बांग्लादेश ओऱ पाकिस्तान की तरह अल्पसंख्यक यहां इतने सम्मान के साथ रह पाते । दीनदयालजी ने कहा था दशावतार के साथ हम तो मोहमदीय अवतार भी मान लेते अगर वे केवल धर्म के रुप में रहते पर अलगराष्ट्र बन कर रहने वालों ने हमारी मातृभूमि का विभाजन किया। क्या ये भुला जा सकता है |
अब भी संघ का मानना है कि भारत भूमि मे पैदा हुए भारतमाता के पुत्र रुप हमारे बन्धु है। आज नही तो कल वे अपने पूर्वजों को अवश्य याद करेगें।
परम पूजनीय श्री गुरुजी गोलवलकर कहा करते थे जीभ अगर दातों के बीच आ जाये तो हम दांत तोङकर नहीं फेंकते वैसे ही धीरे धीरे समाज जाग्रत अनुशासित और संगठित होगा तब सब साथ आ जायेगें । उनका मानना था कि जनतंत्र मे सारी शक्तियां समाज में नीहित है। इसलिए समाज को संगठित अनुशासित और चरित्रवान बनाओं समस्यायें अपने आप समाप्त हो जायेगी।
आज भ्रष्टाचार का हव्वा खङा किया जा रहा है। संसद मे,विधान सभाओं में, सरकारी कर्मचारी , सेना के जवान और अधिकारी सब अपने भाई है इसी समाज से गये है। हमारा चरित्र जैसा होगा वे भी तो वैसे ही होंगें। इसलिए संघ का मानना है कि समाज को संगठित ओऱ चरित्रवान बनाओं तभी सब क्षोत्रों मे चरित्रवान लोग पहुंचेगें। वैसे ॠषि विश्वामित्र   का उदाहरण हमारे सामने है। दस हजार वर्ष की तपस्या के बावजूद वे फिसल गये थे। इसलिए डॉक्टर हेडगेवार ने संघ के गुरु स्थान पर व्यक्ति नही प्रतीक भगवा ध्वज को रखा जिसमे हजारों वर्षो का इतिहास ,त्याग और  अरूणिम प्रकाश से शिक्षा नित्य शाखाओं में मिलती है।
अन्त मे शंकरजी,प्रकाशजी,इन्द्रेशजी,सुरेशजी सोनी,गुलाबचन्दजी कटारिया,धनश्याम तिवाङी और  ललित किशोर चतुर्वेदी के नाम गिनाये जिनका इतिहास भागवत जी को तो पता है।परन्तु आपके सिवाय राजस्थान की जनता को भी पता है। मैनें क्योंकि 1963 में शंकर जी के साथ तृतीय वर्ष किया है। मेरे दो छोटे भाई प्रचारक रहे है। प्रचारक का जीवन कैसा होता है। आचार्य श्री तुलसी और  आचार्य महाप्रज्ञ के शब्दो मे "संध के प्रचारक हम सन्यासियों से कम नहीं है| सिंह की गुफा पर चातुर्मास करना सरल है पर समाज मे रहकर सन्यास निभाना बहुत कठिन है। आप लोग समाज में रहकर भी सन्यास पालन करते है। यह बहुत बङी बात है।"                 
श्री विजय कृष्णनाहर 1955 से 1982 तक प्रचारक रहे है आपातकाल मे उदयपुर विभाग प्रचारक थे ओर 1977 के निर्वाचन मे उदयपुर संभाग के 38 मे से 36 विधायक चुन कर भेजे थे।
आपने मोहनराव जी भागवत को "पुष्कर जाकर यह संकल्प अवश्य कर जायें कि शेष जीवन भारत माता को समर्पित रहेगा। लज्जा करनी चाहिए एक गृहस्थ व्यक्ति सन्यासी को ज्ञान देने का साहस कर रहा है। जिनके नेतृत्व  उच्च शिक्षा सम्पन्न हजारों प्रचारक भारत माता की सेवा में समर्पित है ये सारा संसार जानता है।    
मानमल्ल नाहर की कलम से

Wednesday, February 16, 2011

समाज का आईना है जनप्रतिनिधि |



राजस्थान पत्रीका १८  फरवरी के सम्पदिकीय बची रहे मर्यादा पर कैसे जनप्रतिनिधि सांसद विधायक पार्षद पंच सरपंच सब हमसे ही बनते है | हमारे चरित्र और व्यवहार का आईना होते है ये जनप्रतिनिधि |

अजमेर और बीकानेर नगर निगमों का उदाहरण आपने दिया | पार्षद भिड गये | मारपीट हो गई | जूते चप्पल चले | हमें इस में कारण जानना आवश्यक है | नई व्यवस्था में अध्यक्ष का सीधा चुनाव से जो विसंगतियाँ पैदा हुई उसीका का परिणाम है मारपीट जूता पेजम विकाश में बाधा सताधारी दल की मनमानी |

अध्यक्ष कांग्रेस का पार्षदों में बहुमत भाजपा का अजमेर के झगडे की शुरुआत हुई  बैठके की योग्य व्यवस्था नहीं होना , क्यों की अध्यक्ष ( कांग्रेस ) ने भाजपा पार्षदों को निचा दिखाने के लिये बैठने की माकूल व्यवस्था नहीं की |आपति करने पर नारेबाजी लात घूंसे और मारपीट होनी ही थी |

अद्यक्ष के पास बहुमत नहीं हो तो बहुत पार्षदो के प्रस्ताव को मान लेने से विवाद खड़ा नही हो सकता | जनतन्त्र में बहुमत को साथ लेकर चलने से विकाश में बाधा नहीं आएगी | कुर्सी का रोब और मनमानी बहुमत के आगे चलना संभव हो सकता |राजस्थान सरकार की नाक के निचे राजधानी जयपुर में निगम के अध्यक्ष सताधारी कांग्रेस की हे पर बहुमत भाजपा के पास है | इस लिये अब तक समितियों का गठन नहीं हुआ | विकाश के प्रस्ताव पास नहीं हो रहे हे | राजस्थान सरकार को  नये लागु इस कानून पर चिंतन करना चाहिए | सुविधाओ के लिये पक्ष विपक्ष एक हो जाते हे| इस में आश्चर्य केसा, ये तो समाज का आईना ही है | 

हम आपने स्वार्थ सिधि में डूबे रहते है  तो हमारा प्रतिनिधि हम्रारे भाई भी तो वही करेगे जब तक समाज नहीं सुधरता हमारे प्रतिनिधियों से ईमानदारी की अपेक्षा करना कैसे ठीक हो सकता है |व्यवस्था सुधार के लिये समाज को संस्कारित कीजिये |
मानमल्ल नाहर की कलम से  

Tuesday, February 15, 2011

अल्प विद्या धुन्धरे ( उप राष्ट्रपति की पत्नी श्री मति सलमा अंसारी के बयान पर )


बिटियन की जो| . राजस्थान पत्रिका १२ फरवरी २०११ का सम्पादिकय पढ़ा . उप राष्ट्रपति की पत्नी श्री मति सलमा अंसारी यह कहना सनसनीखेज और अफ़सोस जनक ही नहीं एक तरफ़ा भी है जहा तक लड्कियों की सुरक्षा का सवाल है क्या स्वयं लड़किया जिमेदार नहीं ? 

लड़कियों को जन्मते ही मार देने का सुझाव शायद लाडो सीरिए़ल के अम्माजी से प्रभावित है अन्यथा सलमा जी  जिस समाज से सम्बंधित है उसमे बुरका के प्रावधान के पीछे भी बेटिओ  , महिलाओ की सुरक्षा से ही जुडी हुई प्रथा हैं

सरकार द्वारा दो से आधिक संतान का प्रावधान लिंगानुपात का कारण है , भूण हत्या , बलात्कार और अपहरण का मूल कारण भी लिंगानुपात यानि सरकार की गलतनीति का परिणाम है . दो से आधिक संतान होते ही नोकरी नहीं मिलेगी | चुनाव नहीं लड़ सकते इसलिए भूण हत्या होती है लिंगानुपात बिगड़ता है |

भूख से व्याकुल व्यक्ति को रास्ते पर पतल चाटते देखा जा सकता हैं भूख मिटाने के लिये व्यक्ति अपराध करने से भी नहीं चुकता  अपहरण और बलात्कार के पीछे भी सेक्स की भूख मुख्य कारण है क्योंकि लिंगानुपात की मार के कारण कुवारे व्यक्ति कहा जायेंगे लड्किया स्वयं जिम्मेदार है

बुर्के की तरह चुनी लेने का समाज में प्रावधान था आज लड़किया चुनी का उपयोग गले में फांसी लगाने के लिये करने लगी है टोपलेस, बोटमलेस, टाईट फित्तिंग, जींस टीशर्ट आदि का परयोग रास्ते चलते जवान को आकर्षित ही नहीं उतेजित भी करती है.विद्यालयों में स्लिक्लेस पहन कर अध्यापिका पहुँचती है तो साथी अध्यापको युवा विधार्थी भी उनकी और आकर्षित हुए बिना नहीं रहते !

     मानवीय उपराष्ट्रपति जी की पत्नी श्रीमती सलमा अंसारी जी लड़कियों को मारने के स्थान
१. केन्द्र सरकार नोकरियो और निर्वाचन से दो संतान का प्रावधान हटाने के लिय बाध्य करे !
२. महिलाओ और लड़कियों  को पश्चमी का अंधानुकरण छोड़कर सलीके के कपड़े पहनने के संस्कार दिलाने का पर्यास करे  विधालय इसमे महन्ती भूमिका निभा सकते  है जीन्स और जर्सी जेसे खतरनाक प्रावधान बेटियों की सुरक्षा के लिय बंद करना आवश्यक है
३ महिलाओ के लिय घर से बाहर कार्य के लिय कुछ विभागों में रिज्र्वेसन का प्रावधान भी समस्या के  समाधान में उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं
श्री मति सलमा अंसारी को तो लिखना चाहिए था अगले जन्म मोहे बिटिया ही की जो अफ़सोस उनको भारतीय वीरांगनाओ को कल्पना भी नहीं हे इतिहास साक्षी है , कवि ने कहा है
दुर्गावती जब रण में निकली,
हाथो में थी तलवार दो |
धरती कांपी आकाश हिला,
जब चलने लगी तलवारे दो ||
मानमल्ल नाहर की कलम से 

Thursday, February 10, 2011

कंप्यूटर को वायरस-स्पाईवेयर अटैक से बचाव

वायरस चाहे सेहत को नुकसान पहुंचाने वाला हो या फिर कंप्यूटर को, दोनों ही मामलों में 'इलाज से परहेज बेहतर' की कहावत लागू होती है। आपके कंप्यूटर में वायरस या स्पाईवेयर से नुकसान होने के बाद संभलने से बेहतर है कि उन्हें सिस्टम में घुसने ही न दिया जाए। थोड़ी सी सावधानी और सतर्कता से आप अपने कंप्यूटर को इनसे फ्री रख सकते हैं और वह भी बिल्कुल फ्री।

एंटी-वायरस 
मैकेफी, नोर्टन, क्विक हील, कैस्परस्की, पैंडा, एवीजी, अवास्ट, ट्रेंड माइक्रो आदि एंटी-वायरस बाजार में मौजूद हैं। 
इनमें से ज्यादातर में स्पाईवेयर प्रोटेक्शन की सुविधा भी है। फ्री एंटीवायरस के लिए अवास्ट एंटीवायरस का avast.com या एवीजी का free.avg.com डाउनलोड कर इंस्टॉल करें। क्लैमविन clamvin.com भी अच्छा एंटीवायरस सॉफ्टवेयर है।

फायरवॉल 
यह आपके कंप्यूटर और इंटरनेट के बीच होने वाले संपर्क पर नजर रखता है और गलत गतिविधियों को रोकता है। 
जोन-अलार्म जानी-मानी और अच्छी फायरवॉल है। इसका फ्री वर्जन zonealarm.com आपको बेसिक प्रोटेक्शन देता है। यह दोतरफा (टू वे) फायरवॉल है, जो इंटरनेट से वायरस और स्पाईवेयर आदि को आपके सिस्टम में डाउनलोड होने और गलत वेबसाइट्स को खुलने से रोकती है। अगर कंप्यूटर में कोई मैलवेयर आ गया है और आपकी जरूरी इन्फर्मेशन इंटरनेट पर भेजने की कोशिश कर रहा है तो यह उसे भी रोक सकती है। इंटरनेट से जुड़ी समस्याओं का ठोस समाधान करने के लिए एंटी-वायरस और एंटी-स्पाईवेयर के साथ-साथ अच्छी फायरवॉल का इस्तेमाल जरूरी है। 

सॉफ्टवेयर अपडेट्स 
विंडोज और दूसरे कई सॉफ्टवेयर इंटरनेट के जरिए खुद को अपडेट करते रहते हैं। वायरस तैयार करने वाले ऑपरेटिंग सिस्टम और सॉफ्टवेयर की कमियां ढूंढकर उनका गलत इस्तेमाल करते हैं। सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनियां इसका पता चलते ही कमियों को दूर करती हैं और यूजर्स के लिए पैच या अपडेट जारी करती हैं, जिन्हें अपने सिस्टम में इस्तेमाल कर आप नए-नए वायरस से बच सकते हैं। यही वजह है कि हमें विंडोज, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस, इंटरनेट एक्सप्लोरर और दूसरे सॉफ्टवेयर्स को अपडेट करते रहना चाहिए।  

ई-मेल 
किसी अनजान ई-मेल एड्रेस से अटैचमेंट के साथ मेल आई हो, तो उसके सुरक्षित होने का भरोसा होने तक न खोलें। 
ऐसी ई-मेल में दिए लिंक्स को क्लिक न करें। वे किसी वायरस या स्पाईवेयर को डाउनलोड करना शुरू कर सकते हैं। 
कोई लिंक खोलना जरूरी है तो उस पर राइट क्लिक करके पहले Copy Shortcut और फिर वर्ड या नोट पैड में जाकरPaste दबाएं। ऐसा करके आप ई-मेल के लिंक के पीछे छिपा असली लिंक देख पाएंगे। अगर यह सेफ लगे, तभी आगे बढ़ें। 
वेब-एक्सेस 
वेबसाइट पर दिए लिंक को खोलने से पहले ऊपर बताया गया Copy Shortcut तरीका इस्तेमाल करें, फिर देखें कि क्या लिंक में भी वही वेब एड्रेस दिया है, जो ऊपर से दिखाया गया है। अगर साइट पर अपने आप पॉप-अप विंडो या कोई डायलॉग बॉक्स खुलता है, तो उन्हें इस्तेमाल किए बिना बंद कर दें। कई बार वेबसाइट्स में अचानक एक बॉक्स खुलता है, जिसमें कहा जाता है कि आपके कंप्यूटर को स्कैन किया गया है, जिसमें वायरस या स्पाईवेयर पाए गए हैं। इस मेसेज के झांसे में न आएं। अगर वह आपको किसी सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल करने या किसी वेबसाइट पर ले जाने को कहता है तो उसे स्वीकार न करें।

यूजर राइट्स 
कंप्यूटर पर काम करने वाले हर यूजर की कुछ कैटिगरी होती हैं जैसे Administrator, Guest और User  एडमिनिस्ट्रेटर के पास सबसे ज्यादा और गेस्ट के पास सबसे कम अधिकार होते हैं। यूजर के पास जरूरी अधिकार तो होते हैं लेकिन वह कंप्यूटर की सेटिंग्स में बड़े बदलाव नहीं कर सकता। आमतौर पर हम अपने कंप्यूटर में एडमिनिस्ट्रेटर की भूमिका में काम कर रहे होते हैं। डाउनलोड होने वाले वायरस भी इन अधिकारों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उनके लिए खुद को इंस्टॉल करना आसान हो जाता है। अगर आप डिफॉल्ट यूजर को एडमिनिस्ट्रेटर की बजाय यूजर का दर्जा देंगे तो कंप्यूटर को मैलवेयर से सुरक्षित रख सकेंगे। 
सीडी-डीवीडी और फ्लैश ड्राइव 
कंप्यूटर में किसी बाहरी ड्राइव को इस्तेमाल करने से पहले उन्हें एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर के जरिए स्कैन जरूर कर लें। 
ज्यादातर वायरस ऐसी ड्राइव या इंटरनेट के जरिए फैलते हैं। इनका पहली बार इस्तेमाल करने पर पूछा जाता है कि आप इस तरह की ड्राइव को डाले जाने पर उनमें मौजूद सॉफ्टवेयर को चलाना, उनकी सामग्री को देखना या कुछ नहीं करना चाहते? इनमें से आखिरी ऑप्शन को चुनें। ड्राइव को स्कैन करने के बाद ही उसमें मौजूद सामग्री या सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करें। 
एक्टिव एक्स 
कई वेबसाइट्स में एक्टिव एक्स नाम के छोटे ऐप्लिकेशंस काम करते हैं। ये बहुत पावरफुल होते हैं और आपके सिस्टम की सामग्री को एक्सेस कर सकते हैं। वेबसाइट को पहली बार खोलते समय इंटरनेट ब्राउजर पूछता है कि क्या आप एक्टिव एक्स कंट्रोल को सक्रिय करना चाहते हैं? अगर आपको उसके सुरक्षित होने का पूरा भरोसा नहीं है तो उसे सक्रिय करने की इजाजत न दें। 
सेफ मोड में स्कैन 
समय-समय पर अपने विंडोज को Safe Mode में खोलकर एंटी वायरस सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करें। इससे वायरस को पहले ही पकड़ पाना आसान हो जाता है। अपना कंप्यूटर ऑन करते ही चार-पांच बार F8 दबाएं। ऐसा करने पर विंडोज को खोलने के कई ऑप्शन स्क्रीन पर नजर आते हैं। सेफ मोड भी इनमें से एक ऑप्शन है। उसे सिलेक्ट कर की-बोर्ड पर Enter दबाएं, विंडोज सेफ मोड में शुरू हो जाएगी। स्कैन करने के बाद अपने कंप्यूटर को री-स्टार्ट करके सामान्य मोड में इस्तेमाल करें। 
डाउनलोड 
कंप्यूटर में डाउनलोड किए जाने वाले सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल करने से पहले एंटी-वायरस और एंटी-स्पाईवेयरसॉफ्टवेयर के जरिए स्कैन करके देखें कि वह सुरक्षित है या नहीं? इससे आप अपने कंप्यूटर को वायरस और स्पाईवेयर आदि से सुरक्षित कर सकते हैं।
 
 

पहचान वायरस-स्पाईवेयर अटैक की

ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं चलता, कि कब उनके कंप्यूटर में कोई वायरस या स्पाईवेयर आ गया है। स्पाईवेयर एक तरह का वायरस है, जो आपके कंप्यूटर में चुपचाप रहते हुए आपके सीकेट डेटा पर नजर रखता है और जरूरी सूचनाओं को अपने निर्माता हैकर्स के पास भेज देता है। आपके कंप्यूटर में वायरस इन्फेक्शन महीनों तक रहता है और वायरस या स्पाईवेयर आदि मजे से अपना काम करते रहते हैं। पता तब लगता है, जब हार्ड डिस्क क्रैश या डेटा लॉस जैसा कोई बड़ा नुकसान हो जाता है। वायरस या स्पाईवेयर इन्फेक्शन को पहचानना बहुत मुश्किल नहीं है। वायरस इन्फेक्शन के गंभीर रूप लेने से पहले कंप्यूटर में उनके संकेत दिखाई देते हैं।
कंप्यूटर धीमा 
कंप्यूटर बहुत धीमा हो गया है और किसी भी सॉफ्टवेयर को खोलने में ज्यादा समय ले रहा है, तो इसका मतलब है कि कंप्यूटर की मेमरी और सीपीयू का एक बड़ा हिस्सा वायरस या स्पाईवेयर की प्रोसेसिंग में व्यस्त है। ऐसे में कंप्यूटर शुरू होने और इंटरनेट एक्सप्लोरर पर वेब पेज खुलने में देर लगती है। 

ब्राउजर सेटिंग्स में बदलाव 
आपके ब्राउजर का होमपेज अपने आप बदल गया है, तो बहुत संभव है कि आपके कंप्यूटर में किसी स्पाईवेयर का हमला हो चुका है। होमपेज उस वेबसाइट या वेब पेज को कहते हैं, जो इंटरनेट ब्राउजर को चालू करने पर अपने आप खुल जाता है। आमतौर पर हम Tools मेन्यू में जाकर अपना होमपेज सेट करते हैं, जो अमूमन आपकी पसंदीदा वेबसाइट, सर्च इंजन या ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली सविर्स जैसे ई-मेल आदि होता है। पीसी में घुसा स्पाईवेयर आपको किसी खास वेबसाइट पर ले जाने के लिए इसे बदल देता है। 

कंप्यूटर हेंग 
कंप्यूटर बार-बार जाम या अचानक हेंग होने लगा है, तो यह इन्फेक्शन के कारण हो सकता है। खासकर तब, जब आपने कंप्यूटर में कोई नया सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर भी इंस्टॉल न किया हो। 

पॉप अप विंडोज 
इंटरनेट ब्राउजर को चालू करते ही उसमें एक के बाद एक कई तरह की पॉप अप विंडोज खुलने लगती हैं, तो हो सकता है कि इनमें से कुछ में किसी खास चीज या वेबसाइट का विज्ञापन किया गया हो या फिर वे अश्लील वेबसाइट्स के लिंक्स से भरी पड़ी हों। 

चेतावनियां (थेटस) 
स्क्रीन पर ऐसे मेसेज बॉक्स दिखाई देने लगें जिनमें कहा गया हो कि कंप्यूटर पर वायरस या स्पाईवेयर का हमला हो चुका है, साथ ही आपको किसी फ्री स्पाईवेयर स्कैनिंग वेबसाइट पर जाने की सलाह दी जाए। 

अजीब से आइकन 
आपके डेस्कटॉप या सिस्टम ट्रे में अजीब किस्म के आइकन आ गए हों, जबकि आपने ऐसा कोई सॉफ्टवेयर भी इंस्टॉल नहीं किया है। क्लिक करने पर वे तेजी से अश्लील वेबसाइट्स को खोलना शुरू कर देते हैं। 

अनजाने फोल्डर और फाइलें 
आपके कंप्यूटर की किसी ड्राइव या डेस्कटॉप पर कुछ ऐसे फोल्डर दिखाई देते हैं जिन्हें आपने नहीं बनाया। उनके अंदर कुछ ऐसी फाइलें भी हैं, जिन्हें न तो आपने बनाया और न ही वे किसी सॉफ्टवेयर के इंस्टॉलेशन से बनीं। इसके अलावा उन्हें डिलीट करने के बाद भी वे कुछ समय बाद फिर से आ जाती हैं। 

- आपके ई-मेल क्लाइंट के Sent फोल्डर में ऐसे ई-मेल मेसेज दिखाई देते हैं, जिन्हें आपने कभी नहीं भेजा। 

- इंटरनेट ब्राउजर में कुछ -नए टूलबार आ गए हों। आप इन्हें हटाने की कोशिश करते हैं लेकिन वे या तो हटते ही नहीं या फिर कुछ देर बाद फिर आ जाते हैं। 

- कंप्यूटर शांत है लेकिन हार्ड डिस्क में फिर भी घूमने की आवाजें आ रही हों।

Sunday, February 6, 2011

Marketing Management

" If more CEO's had to go out and sell their products, day in and day out , they'd pay a lot more attention to what they were making. When you're out their selling, there's no place to hide. It's the acid test." - JIM KOCH

Saturday, February 5, 2011

फाइलें साझा करने के लिए उपयुक्त साइट ge.tt

बिना फाइल के आकार की चिंता किये उसे साझा करने या फिर फाइल भेजने का उपयुक्त मंच है ge.tt. सही है इस तरह की सेवा देने वाली बहुत सी साइटें हैं, मगर कुछ बातें ऐसी है जो ge.tt को विशेष बनाती है और वे हैं पजिंकरण करने की अनिवार्यता नहीं है, फाइल के आकार का बन्धन नहीं है और न ही फाइलों संख्याँ की कोई सीमा है.

सबसे अच्छी विशेषता यह है कि डाउनलोड करने के लिए फाइल के पहले पूरा अपलोड होने तक प्रतिक्षा करने की जरूरत नहीं है. एक तरफ जहाँ फाइल अपलोड हो रही हो, दुसरी तरफ इसका डाउनलोड शुरू किया जा सकता है. साथ ही डाउनलोड सम्बन्धी आँकड़े भी उपलब्ध रहते है.



Microsoft Excel - Goal Seek

Goal Seek is used when you know what answer you want, but don't know the exact figure to input for that answer. For example, you're quite certain that 8 multiplied by something equals 56. You just not sure what that missing number is. Is it 8 multiplied by 6? Or Is it 8 multiplied by 7? Goal Seek will tell you the answer.
We'll test that example out right now. So start a new spreadsheet, and create one the same as in the image below:
 
Before you can use Goal Seek, Excel needs certain things from you. First it needs some sort of formula to work with. In the image above we have the simple formula =B1 * B2. We've put this in cell B3. But the answer is wrong for us. We had a Goal of 56 (8 times something). We want to know which number you have to multiply 8 by in order to get the answer 56. We tried 8 times 6, and that gave the answer of 48. So we have to try again.
Instead of us puzzling the answer out, we can let Goal Seek handle it. So do the following:

  • From the Excel menu bar, click on Tools
  • From the drop down menu, click on Goal Seek
  • A dialogue box pops up like the one below
The Goal Seek dialogue box

The dialogue box needs a little explaining. "Set cell" is the answer you're looking for, this is the Goal. Set cell needs a formula or function to work with. Our formula is in cell B3, so if your "Set cell" text box does not say B3, click inside it and type B3.

"To Value" is the actual answer you're looking for. With "Set cell", you're just telling Excel where the formula is. With "To Value" you have to tell Excel what answer you're looking for. We wanted an answer of 56 for our formula. So click inside the "To Value" text box and type 56.

"By Changing Cell" is the missing bit. This is the part of the formula that needs to change in order to get the answer you want. In our formula we have an 8 and a 6. Clearly, the 6 is the number that has to go. So the cell that needs to change is B2. So go ahead and enter B2 in the "By Changing Cell" text box. Your dialogue box should now look like this:
Enter the values in the boxes 
Click OK when your dialogue box looks like the one above. Excel will then Set the cell B3 to the Value of 56, and change the figure in cell B2. You'll also get a dialogue box like the one below:
Click OK on the dialogue box. Your new spreadsheet will look like this one:
The new value is in cell B2 
So Goal Seek has given us the answer we wanted: it is 7 that when times by 8 equals 56.

Download Visual Basic Project work like this Goal Seek


Please sagest me for more improvement in visual basic goal seek program