Tuesday, July 26, 2011

आतंकवाद नया नहीं



Norway Blast

नॉर्वे के आंद्रे बेहरिंग ब्रिविक नामक व्यक्ति जाति विशेष के लोगो पर हर्षक हमले करने को बाध्य कर दिया होगा |

9/11 के बाद अनेक यूरोपीय देश में आव्रजन कि समस्या से जूझ रहे है | खास कर मुसलमानों कि मोजुदगी चर्चा का विषय बानगी है | यह चर्चा जूनून कि हद तक मुद्दा बन गई है नोजवानो पर खुद न्याय करने कि राह स्क्तियर करले | आंद्रे बेहरिंग ब्रिविक इसका उदाहरण है |

1947 में लाल किले में नेताओ को एक साथ समाप्त करने का षड्यंत्र पकड़ा गया | कोन थे षडयंत्रकारी ? 2001 में संसद पर आतंकी हमला स्थानीय सहयोगियों को खुले छोड़ दिया गया | जयपुर ब्लास्ट का मास्टर माइंड कॉलेज विधार्थी के कमरे में रहा परन्तु विधार्थी पर कार्यवाही नहीं हुई |देल्ही और मुम्बई बार बार आतंकियों का निशाना बराबर बनते रहे है , स्थानीय लोगो कि भागीदारी पर हम परदा डालते रहे है क्यों कि वोट बैंक खिसकने का डर जो है | इस लिये ना तो मुम्बई ब्लास्ट का अपराधी और ना ही संसद पर हमले करवाने वाले आतंकवादी को फांसी दी गई | जबकि उच्चतम न्यायालय कब का सजा सुना चूका है |पर हम आंद्रे बेहरिंग ब्रिविक नहीं बन सकते क्यों ? क्यों कि  हमारे यहाँ तो कहावत है 

अड़े सो आडिय समाजी , खड़े सो खालसा , सड़े सो सनातनी 

इतिहास साक्षी है बाप को और भाइयों को मार कर ओरंगजेब जिस आंतकवाद को शुरूआत कि वो आज तक चलरहा है | जबाब में हमने बेहरिंग ब्रिविक बनने के बजाय अपनी बहु बेटियां भेट चढाते रहे |तब से अब तक वह आतंकवाद चल रहा है |हम आज तक सड रहे है| कानून को हाथ में लेने से डरते रहे है | सब जानते है कि संसार में आतंकवाद के सब से ज्यादा पीड़ित है भारतवर्ष , आतंकियों के लिये स्वर्ग है

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