वायरस चाहे सेहत को नुकसान पहुंचाने वाला हो या फिर कंप्यूटर को, दोनों ही मामलों में 'इलाज से परहेज बेहतर' की कहावत लागू होती है। आपके कंप्यूटर में वायरस या स्पाईवेयर से नुकसान होने के बाद संभलने से बेहतर है कि उन्हें सिस्टम में घुसने ही न दिया जाए। थोड़ी सी सावधानी और सतर्कता से आप अपने कंप्यूटर को इनसे फ्री रख सकते हैं और वह भी बिल्कुल फ्री।
एंटी-वायरस
मैकेफी, नोर्टन, क्विक हील, कैस्परस्की, पैंडा, एवीजी, अवास्ट, ट्रेंड माइक्रो आदि एंटी-वायरस बाजार में मौजूद हैं।
इनमें से ज्यादातर में स्पाईवेयर प्रोटेक्शन की सुविधा भी है। फ्री एंटीवायरस के लिए अवास्ट एंटीवायरस का avast.com या एवीजी का free.avg.com डाउनलोड कर इंस्टॉल करें। क्लैमविन clamvin.com भी अच्छा एंटीवायरस सॉफ्टवेयर है।
फायरवॉल
यह आपके कंप्यूटर और इंटरनेट के बीच होने वाले संपर्क पर नजर रखता है और गलत गतिविधियों को रोकता है।
जोन-अलार्म जानी-मानी और अच्छी फायरवॉल है। इसका फ्री वर्जन zonealarm.com आपको बेसिक प्रोटेक्शन देता है। यह दोतरफा (टू वे) फायरवॉल है, जो इंटरनेट से वायरस और स्पाईवेयर आदि को आपके सिस्टम में डाउनलोड होने और गलत वेबसाइट्स को खुलने से रोकती है। अगर कंप्यूटर में कोई मैलवेयर आ गया है और आपकी जरूरी इन्फर्मेशन इंटरनेट पर भेजने की कोशिश कर रहा है तो यह उसे भी रोक सकती है। इंटरनेट से जुड़ी समस्याओं का ठोस समाधान करने के लिए एंटी-वायरस और एंटी-स्पाईवेयर के साथ-साथ अच्छी फायरवॉल का इस्तेमाल जरूरी है।
सॉफ्टवेयर अपडेट्स
विंडोज और दूसरे कई सॉफ्टवेयर इंटरनेट के जरिए खुद को अपडेट करते रहते हैं। वायरस तैयार करने वाले ऑपरेटिंग सिस्टम और सॉफ्टवेयर की कमियां ढूंढकर उनका गलत इस्तेमाल करते हैं। सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनियां इसका पता चलते ही कमियों को दूर करती हैं और यूजर्स के लिए पैच या अपडेट जारी करती हैं, जिन्हें अपने सिस्टम में इस्तेमाल कर आप नए-नए वायरस से बच सकते हैं। यही वजह है कि हमें विंडोज, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस, इंटरनेट एक्सप्लोरर और दूसरे सॉफ्टवेयर्स को अपडेट करते रहना चाहिए।
ई-मेल
किसी अनजान ई-मेल एड्रेस से अटैचमेंट के साथ मेल आई हो, तो उसके सुरक्षित होने का भरोसा होने तक न खोलें।
ऐसी ई-मेल में दिए लिंक्स को क्लिक न करें। वे किसी वायरस या स्पाईवेयर को डाउनलोड करना शुरू कर सकते हैं।
कोई लिंक खोलना जरूरी है तो उस पर राइट क्लिक करके पहले Copy Shortcut और फिर वर्ड या नोट पैड में जाकरPaste दबाएं। ऐसा करके आप ई-मेल के लिंक के पीछे छिपा असली लिंक देख पाएंगे। अगर यह सेफ लगे, तभी आगे बढ़ें।
वेब-एक्सेस
वेबसाइट पर दिए लिंक को खोलने से पहले ऊपर बताया गया Copy Shortcut तरीका इस्तेमाल करें, फिर देखें कि क्या लिंक में भी वही वेब एड्रेस दिया है, जो ऊपर से दिखाया गया है। अगर साइट पर अपने आप पॉप-अप विंडो या कोई डायलॉग बॉक्स खुलता है, तो उन्हें इस्तेमाल किए बिना बंद कर दें। कई बार वेबसाइट्स में अचानक एक बॉक्स खुलता है, जिसमें कहा जाता है कि आपके कंप्यूटर को स्कैन किया गया है, जिसमें वायरस या स्पाईवेयर पाए गए हैं। इस मेसेज के झांसे में न आएं। अगर वह आपको किसी सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल करने या किसी वेबसाइट पर ले जाने को कहता है तो उसे स्वीकार न करें।
यूजर राइट्स
कंप्यूटर पर काम करने वाले हर यूजर की कुछ कैटिगरी होती हैं जैसे Administrator, Guest और User । एडमिनिस्ट्रेटर के पास सबसे ज्यादा और गेस्ट के पास सबसे कम अधिकार होते हैं। यूजर के पास जरूरी अधिकार तो होते हैं लेकिन वह कंप्यूटर की सेटिंग्स में बड़े बदलाव नहीं कर सकता। आमतौर पर हम अपने कंप्यूटर में एडमिनिस्ट्रेटर की भूमिका में काम कर रहे होते हैं। डाउनलोड होने वाले वायरस भी इन अधिकारों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उनके लिए खुद को इंस्टॉल करना आसान हो जाता है। अगर आप डिफॉल्ट यूजर को एडमिनिस्ट्रेटर की बजाय यूजर का दर्जा देंगे तो कंप्यूटर को मैलवेयर से सुरक्षित रख सकेंगे।
सीडी-डीवीडी और फ्लैश ड्राइव
कंप्यूटर में किसी बाहरी ड्राइव को इस्तेमाल करने से पहले उन्हें एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर के जरिए स्कैन जरूर कर लें।
ज्यादातर वायरस ऐसी ड्राइव या इंटरनेट के जरिए फैलते हैं। इनका पहली बार इस्तेमाल करने पर पूछा जाता है कि आप इस तरह की ड्राइव को डाले जाने पर उनमें मौजूद सॉफ्टवेयर को चलाना, उनकी सामग्री को देखना या कुछ नहीं करना चाहते? इनमें से आखिरी ऑप्शन को चुनें। ड्राइव को स्कैन करने के बाद ही उसमें मौजूद सामग्री या सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करें।
एक्टिव एक्स
कई वेबसाइट्स में एक्टिव एक्स नाम के छोटे ऐप्लिकेशंस काम करते हैं। ये बहुत पावरफुल होते हैं और आपके सिस्टम की सामग्री को एक्सेस कर सकते हैं। वेबसाइट को पहली बार खोलते समय इंटरनेट ब्राउजर पूछता है कि क्या आप एक्टिव एक्स कंट्रोल को सक्रिय करना चाहते हैं? अगर आपको उसके सुरक्षित होने का पूरा भरोसा नहीं है तो उसे सक्रिय करने की इजाजत न दें।
सेफ मोड में स्कैन
समय-समय पर अपने विंडोज को Safe Mode में खोलकर एंटी वायरस सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करें। इससे वायरस को पहले ही पकड़ पाना आसान हो जाता है। अपना कंप्यूटर ऑन करते ही चार-पांच बार F8 दबाएं। ऐसा करने पर विंडोज को खोलने के कई ऑप्शन स्क्रीन पर नजर आते हैं। सेफ मोड भी इनमें से एक ऑप्शन है। उसे सिलेक्ट कर की-बोर्ड पर Enter दबाएं, विंडोज सेफ मोड में शुरू हो जाएगी। स्कैन करने के बाद अपने कंप्यूटर को री-स्टार्ट करके सामान्य मोड में इस्तेमाल करें।
डाउनलोड
कंप्यूटर में डाउनलोड किए जाने वाले सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल करने से पहले एंटी-वायरस और एंटी-स्पाईवेयरसॉफ्टवेयर के जरिए स्कैन करके देखें कि वह सुरक्षित है या नहीं? इससे आप अपने कंप्यूटर को वायरस और स्पाईवेयर आदि से सुरक्षित कर सकते हैं।
एंटी-वायरस
मैकेफी, नोर्टन, क्विक हील, कैस्परस्की, पैंडा, एवीजी, अवास्ट, ट्रेंड माइक्रो आदि एंटी-वायरस बाजार में मौजूद हैं।
इनमें से ज्यादातर में स्पाईवेयर प्रोटेक्शन की सुविधा भी है। फ्री एंटीवायरस के लिए अवास्ट एंटीवायरस का avast.com या एवीजी का free.avg.com डाउनलोड कर इंस्टॉल करें। क्लैमविन clamvin.com भी अच्छा एंटीवायरस सॉफ्टवेयर है।
फायरवॉल
यह आपके कंप्यूटर और इंटरनेट के बीच होने वाले संपर्क पर नजर रखता है और गलत गतिविधियों को रोकता है।
जोन-अलार्म जानी-मानी और अच्छी फायरवॉल है। इसका फ्री वर्जन zonealarm.com आपको बेसिक प्रोटेक्शन देता है। यह दोतरफा (टू वे) फायरवॉल है, जो इंटरनेट से वायरस और स्पाईवेयर आदि को आपके सिस्टम में डाउनलोड होने और गलत वेबसाइट्स को खुलने से रोकती है। अगर कंप्यूटर में कोई मैलवेयर आ गया है और आपकी जरूरी इन्फर्मेशन इंटरनेट पर भेजने की कोशिश कर रहा है तो यह उसे भी रोक सकती है। इंटरनेट से जुड़ी समस्याओं का ठोस समाधान करने के लिए एंटी-वायरस और एंटी-स्पाईवेयर के साथ-साथ अच्छी फायरवॉल का इस्तेमाल जरूरी है।
सॉफ्टवेयर अपडेट्स
विंडोज और दूसरे कई सॉफ्टवेयर इंटरनेट के जरिए खुद को अपडेट करते रहते हैं। वायरस तैयार करने वाले ऑपरेटिंग सिस्टम और सॉफ्टवेयर की कमियां ढूंढकर उनका गलत इस्तेमाल करते हैं। सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनियां इसका पता चलते ही कमियों को दूर करती हैं और यूजर्स के लिए पैच या अपडेट जारी करती हैं, जिन्हें अपने सिस्टम में इस्तेमाल कर आप नए-नए वायरस से बच सकते हैं। यही वजह है कि हमें विंडोज, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस, इंटरनेट एक्सप्लोरर और दूसरे सॉफ्टवेयर्स को अपडेट करते रहना चाहिए।
ई-मेल
किसी अनजान ई-मेल एड्रेस से अटैचमेंट के साथ मेल आई हो, तो उसके सुरक्षित होने का भरोसा होने तक न खोलें।
ऐसी ई-मेल में दिए लिंक्स को क्लिक न करें। वे किसी वायरस या स्पाईवेयर को डाउनलोड करना शुरू कर सकते हैं।
कोई लिंक खोलना जरूरी है तो उस पर राइट क्लिक करके पहले Copy Shortcut और फिर वर्ड या नोट पैड में जाकरPaste दबाएं। ऐसा करके आप ई-मेल के लिंक के पीछे छिपा असली लिंक देख पाएंगे। अगर यह सेफ लगे, तभी आगे बढ़ें।
वेब-एक्सेस
वेबसाइट पर दिए लिंक को खोलने से पहले ऊपर बताया गया Copy Shortcut तरीका इस्तेमाल करें, फिर देखें कि क्या लिंक में भी वही वेब एड्रेस दिया है, जो ऊपर से दिखाया गया है। अगर साइट पर अपने आप पॉप-अप विंडो या कोई डायलॉग बॉक्स खुलता है, तो उन्हें इस्तेमाल किए बिना बंद कर दें। कई बार वेबसाइट्स में अचानक एक बॉक्स खुलता है, जिसमें कहा जाता है कि आपके कंप्यूटर को स्कैन किया गया है, जिसमें वायरस या स्पाईवेयर पाए गए हैं। इस मेसेज के झांसे में न आएं। अगर वह आपको किसी सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल करने या किसी वेबसाइट पर ले जाने को कहता है तो उसे स्वीकार न करें।
यूजर राइट्स
कंप्यूटर पर काम करने वाले हर यूजर की कुछ कैटिगरी होती हैं जैसे Administrator, Guest और User । एडमिनिस्ट्रेटर के पास सबसे ज्यादा और गेस्ट के पास सबसे कम अधिकार होते हैं। यूजर के पास जरूरी अधिकार तो होते हैं लेकिन वह कंप्यूटर की सेटिंग्स में बड़े बदलाव नहीं कर सकता। आमतौर पर हम अपने कंप्यूटर में एडमिनिस्ट्रेटर की भूमिका में काम कर रहे होते हैं। डाउनलोड होने वाले वायरस भी इन अधिकारों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उनके लिए खुद को इंस्टॉल करना आसान हो जाता है। अगर आप डिफॉल्ट यूजर को एडमिनिस्ट्रेटर की बजाय यूजर का दर्जा देंगे तो कंप्यूटर को मैलवेयर से सुरक्षित रख सकेंगे।
सीडी-डीवीडी और फ्लैश ड्राइव
कंप्यूटर में किसी बाहरी ड्राइव को इस्तेमाल करने से पहले उन्हें एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर के जरिए स्कैन जरूर कर लें।
ज्यादातर वायरस ऐसी ड्राइव या इंटरनेट के जरिए फैलते हैं। इनका पहली बार इस्तेमाल करने पर पूछा जाता है कि आप इस तरह की ड्राइव को डाले जाने पर उनमें मौजूद सॉफ्टवेयर को चलाना, उनकी सामग्री को देखना या कुछ नहीं करना चाहते? इनमें से आखिरी ऑप्शन को चुनें। ड्राइव को स्कैन करने के बाद ही उसमें मौजूद सामग्री या सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करें।
एक्टिव एक्स
कई वेबसाइट्स में एक्टिव एक्स नाम के छोटे ऐप्लिकेशंस काम करते हैं। ये बहुत पावरफुल होते हैं और आपके सिस्टम की सामग्री को एक्सेस कर सकते हैं। वेबसाइट को पहली बार खोलते समय इंटरनेट ब्राउजर पूछता है कि क्या आप एक्टिव एक्स कंट्रोल को सक्रिय करना चाहते हैं? अगर आपको उसके सुरक्षित होने का पूरा भरोसा नहीं है तो उसे सक्रिय करने की इजाजत न दें।
सेफ मोड में स्कैन
समय-समय पर अपने विंडोज को Safe Mode में खोलकर एंटी वायरस सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करें। इससे वायरस को पहले ही पकड़ पाना आसान हो जाता है। अपना कंप्यूटर ऑन करते ही चार-पांच बार F8 दबाएं। ऐसा करने पर विंडोज को खोलने के कई ऑप्शन स्क्रीन पर नजर आते हैं। सेफ मोड भी इनमें से एक ऑप्शन है। उसे सिलेक्ट कर की-बोर्ड पर Enter दबाएं, विंडोज सेफ मोड में शुरू हो जाएगी। स्कैन करने के बाद अपने कंप्यूटर को री-स्टार्ट करके सामान्य मोड में इस्तेमाल करें।
डाउनलोड
कंप्यूटर में डाउनलोड किए जाने वाले सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल करने से पहले एंटी-वायरस और एंटी-स्पाईवेयरसॉफ्टवेयर के जरिए स्कैन करके देखें कि वह सुरक्षित है या नहीं? इससे आप अपने कंप्यूटर को वायरस और स्पाईवेयर आदि से सुरक्षित कर सकते हैं।
It Very Help full
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